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दिल से, आराधना करू मैं

दिल से, आराधना करू मैं इस ज़ूबा से, नाम तेरा ही लून मैं पुर दिल से, आराधना करू मैं इस ज़ूबा से, नाम तेरा ही लून मैं करता हू तेरा शुक्रिया मैं प्रभु करता हू तेरा शुक्रिया मैं – (4) तेरे फ़ज़ल में, तेरी दया में लिपटा मैं रहता हू – (2) मैं रहता हू – (2) जब होता हू, बेचैन कभी तेरी रूह तब मुझको थमती है मेरी मुश्किलो में, हर एक दर्द और गम में खुदवंद तू ही, मेरा शाफ़ी है – (2) जब लेता हू, मैं नाम तेरा तेरी समर्थ को तब मैं देखता हू तुझसे मिली, हर बरकत मुझे महफूज़ तेरे, संग मैं रहता हू – (2)